The KVK is a grass root level institution designed and devoted to impart need-based and skill-oriented vocational training to the practicing farmers, in-service extension personnel and to those who wish to go in for self-employment through "learning by doing". This Kendra was established on 27 March, 2007, keeping in mind to accelerate the agricultural production and also to improve the socio-economic condition of the farming community of Bageshwar district.
The KVK is located at Sinduri-Baskhola (Kafligair) in Bageshwar district of Uttarakhand which is about 42 km from ICAR-VPKAS, Almora, and 30 km from district headquarters. The nearest rail head is at Kathgodam (130 km). The elevation of Kafligair is 1245 meters above mean sea level. The KVK is located at 29045’07”N Latitude, 79044’32”E Longitude.
The minimum temperature recorded is -3.20C in winter and maximum goes up to 350C. The annual rainfall is about 1610.30mm.
भारतीय कृशि अनुसंधान परिशद के सौजन्य से विवेकानन्द पर्वतीय कृशि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा द्वारा बागेष्वर जनपद में कृशि एवं सम्बन्धित विशयों की नवीनतम तकनीक¨ं के प्रसार द्वारा जनपद के सर्वांगीण विकास हेतु कृशि विज्ञान केन्द्र की स्थापना अप्रैल, 2007 में की गयी। यह केन्द्र, जनपद के काफलीगैर नामक स्थान पर स्थित है जो कि बागेष्वर विकास खण्ड के अन्तर्गत आता है। प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर काफलीगैर की समुद्र तल से ऊॅचाई 1245 मीटर, अक्षांष 29045’07“ तथा देषान्तर 79044’32“ हैं। केन्द्र, राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिला मुख्यालय बागेष्वर से 29 किमी0 की दूरी पर स्थित है। यह केन्द्र विवेकानन्द पर्वतीय कृशि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा, मुख्यालय से 42 किमी0 दूर है। केन्द्र सभी मुख्य स्थलों जैसे जिला मुख्यालय तथा प्रदेष की राजधानी से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
कृशि विज्ञान केन्द्र, कृशि अनुसंधान संस्थानों की तकनीकियों को कृशकों तक पहुॅचाने की एक इकाई है, जहाॅं पर वैज्ञानिकों द्वारा कृशि तकनीकों का हस्तान्तरण से पूर्व आकलन एवं परिषोधन किया जाता है। केन्द्र विशय वस्तु विषशज्ञों, कृशि प्रसार कार्यकर्ताओं और किसानों के सहयोग पर आधारित भागीदारिता के सिद्वान्त पर कार्य करता है। केन्द्र के प्रषिक्षण कार्यक्रम, अनुकरणीय परीक्षण तथा प्रदर्षन किसानों की वास्तविक आवष्यकताओं, उपलब्ध संसाधनों और संभावनाओं को ध्यान में रखकर तैयार किये जाते है। नई जानकारियों के प्रसार एवं प्रषिक्षण सुविधाओं के अभाव में बागेष्वर जिले के कृशक परम्परागत तरीकों से खेती करते आ रहे है जिसके कारण कृशि यहँा के किसानों के लिये एक लाभदायी व्यवसाय साबित नहीं हो पा रहा है। जनपद में फसलों, फलों एवं सब्जियों के वर्तमान उत्पादन स्तर को बढ़ाये जाने की काफी सम्भावनायें हैं। विषेशकर दलहनी एवं तिलहनी फसलों, फलों तथा बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन की दिषा में कार्य किया जा सकता है। इन्हीं सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृशि अनुसंधान परिशद द्वारा वित्तपोशित कृशि विज्ञान केन्द्र, काफलीगैऱ निम्नलिखित उद्देष्य लेकर कार्यरत हैः
विषय वस्तु विषेषज्ञों द्वारा कृषको/कृषि अधिकारियेां/कर्मचारियों /जनप्रतिनिधियों के साथ समूह चर्चा व ग्रामों क¢ आधारभूत सर्वेक्षण करने के पष्चात कृषि से सम्बन्धित समस्याओं को चिन्हित किया गया। चिन्हित आवष्यकताओं का अवलेाकन कर प्राथमिकता के आधार पर समस्याओं के निराकरण हेतु विभिन्न विषयों पर प्रषिक्षण कार्यक्रम एवं प्रदर्षन आयोजित किए गए।
केन्द्र द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-2016 में 2 प्रायोजित प्रषिक्षणों सहित कुल 49 प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसके माध्यम से कुल 1137 कृषको को प्रषिक्षित किया गया है। 33.32 है0 क्षेत्रफल में अग्रिम पंक्ति प्रदर्षन, 6 अनुकरणीय परीक्षण, विषेषज्ञों द्वारा कृषकों के खेतों पर 96 भ्रमण कार्यक्रम, 32 प्रेस विज्ञप्ति इत्यादि कार्यक्रमों का संचालन किया गया। उपरोक्त के अतिरिक्त केन्द्र द्वारा जनपद में उन्नत बीजों की भारी माॅंग को देखते हुये अपने प्रक्षेत्र पर बीजोत्पादन कार्यक्रम चलाया जा रहा है तथा मुख्य फसलों के बीज व सब्जी पौधों का उत्पादन व वितरण किया जा रहा है। बीज तथा सब्जी पौध उत्पादन कार्यक्रम के अंर्तगत विभिन्न फसलों का वर्श 2015-16 में कुल 35.15 कुन्टल बीज तथा 17690 सब्जी वर्गीय फसलों की पौध का उत्पादन कर कृशकों को उपलब्ध कराया गया। ग्रामीण महिलाओं/बेरोजगार युवको को स्वरोजगार व आत्म निर्भर बनने की प्रेरणा देने हेतु प्रक्षेत्र पर दुग्धषाला की स्थापना प्रदर्षन इकाई के रूप में की जा चुकी है, जिसमें इस वित्तीय वर्श में 9,071 लीटर दुग्ध का उत्पादन हुआ है।
वित्तीय वर्ष (2016-17) में कृषकों के खेतों पर विभिन्न फसलों की उत्पादन तकनीकी व उन्नत बीजों के प्रसार से सम्बन्धित अग्रिम पंक्ति प्रदर्षनों का 53.1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्रस्तावित था जिसमें खरीफ 2016 के अंर्तगत कुल 28.82 हैक्टेयर, क्षेत्रफल में प्रदर्षन किया जा चुका है। रबी 2016-17 के अंर्तगत कुल 27.05 हैक्टेयर भूमि पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्षन तथा 7 अनुकरणीय परीक्षण प्रतावित हैं।
वित्तीय वर्ष (2017-18) में कृषकों के खेतों पर विभिन्न फसलों की उत्पादन तकनीकी व उन्नत बीजों के प्रसार से सम्बन्धित अग्रिम पंक्ति प्रदर्षनों का 59.10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्रस्तावित है तथा 9 अनुकरणीय परीक्षण प्रतावित हैं।